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नई दिल्ली : वाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से भारत और अमेरिका के बीच सामरिक भागीदारी और मजबूत होने की उम्मीद की जा रही है। जानकारों का कहना है कि ट्रंप 2.0 में क्वॉड और मजबूत होगा। साथ ही ट्रंप प्रशासन चीन के बढ़ते दबदबे को रोकने की भी कोशिश करेगा, जिसका फायदा भारत को भी मिलेगा।सामरिक रिश्ते होंगे मजबूत
सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज के डायेक्टर जनरल और रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड) ने कहा कि अमेरिका में ट्रंप की जीत से भारत और अमेरिका के सामरिक रिश्ते सकारात्मक दिशा में ही बढ़ेंगे। ट्रंप प्रशासन चीन की विस्तारवादी नीति पर भी लगाम लगाने की कोशिश करेगा, इसलिए भारत का रोल अमेरिका के लिए उतना ही अहम बना रहेगा, जितना अभी है। ट्रंप प्रशासन चीन के बढ़ते दबदबे को रोकने की कोशिश भी करेगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध रुकेगा!
ट्रंप ने ही पहली सार्थक शुरूआत की थी, जो चीन के आधिपत्य को रोकने का प्रयास था और जिसे बाइडन एडमिनिस्ट्रेशन ने जारी रखा। मेजर जनरल अशोक कुमार ने कहा कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में कोई बड़ा युद्ध नहीं हुआ था। इस वक्त दो बड़े युद्ध चल रहे हैं। एक रूस-यूक्रेन के बीच और दूसरा मिडिल ईस्ट में। उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप रूस और यूक्रेन के युद्ध का खात्मा करवाएंगे। जिससे दुनिया भर की दिक्कतें कम होंगी और सभी देशों में महंगाई पर लगाम लगेगा, इसमें भारत भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि भले ही ट्रंप के पहले कार्यकाल में ही काटसा (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act ) आया हो लेकिन अमेरिका ने भारत को इसमें भी छूट दी। भारत ने रूस से जो एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम लिया, वह अमेरिका ने माना कि भारत ने अपनी आत्मरक्षा के लिए और चीन से उभरते खतरे को देखते हुए ली थी। टेक्नॉलजी से लेकर एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट के लिए इंजन के मुद्दे तक में भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में सुधार हो रहा है और ट्रंप 2.0 में भी यह जारी रहने की उम्मीद है।
ट्रंप 2.0 में क्या बदलेगा?
विदेश मामलों के एक्सपर्ट संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप 2.0 में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, सुरक्षा, काउंटर टेररिजम और इंटेलिजेंस शेयरिंग की पार्टनरशिप और गहरी होने की उम्मीद है। ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान भी आतंकवाद, अतिवाद जैसे विषयों पर कड़ी कार्रवाईयों की थी। इस्लामिक स्टेट की फिजिकल टेरिरटी को निस्तेनाबूत किया।
ट्रंप की आतंकवाद के प्रति नीतियां सख्त हैं। यही आगे भी उम्मीद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को ट्रंप अलग तरह से ट्रीट करते हैं। वह भी जानते हैं कि भारत विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इंडो-पैसिफिक रीजन में भारत सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति है। डोनाल्ड ट्रंप भारत की सामरिक और आर्थिक महत्ता को समझते हैँ। ऐसे में काटसा जैसे कानून का अब भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
चीन को भारी पड़ेगी आक्रामकता
संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि क्वॉड इनिसिएटिव ट्रंप के कार्यकाल में ही रिवाइव हुआ था। क्वॉड बनने के 8 साल तक उस तरह आगे नहीं बढ़ पाया था लेकिन 2017 में ट्रंप ने इसका रिवाइवल किया। क्वॉड समिट टॉप लीडरशिप स्तर की होने लगी। ट्रंप 2.0 में क्वॉड इनिसिएटिव और अधिक मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि चीन के प्रति ट्रंप का रुख पिछले कार्यकाल में कॉम्पिटीटिव और कॉम्बेटिव रहा। चीन के साथ टैरिफ वॉर शुरू किया था। चीनी प्रॉडक्ट पर टैरिफ लगाए।
चीन के लिए ट्रंप का वाइट हाउस में आना चुनौतियां बढ़ाएगा। चीन जितना अग्रेशन दिखाएगा, अमेरिका भी उतना ही अग्रेशन दिखाएगा। ताइवन के संबंध में ट्रंप प्रशासन का रुख ताइवान की रक्षा का होगा। ट्रंप जानते हैं कि अगर चीन ने ताइवान पर कब्जा कर लिया तो वह साउथ चाइना सी के 90 प्रतिशत भाग पर एकाधिकार के दावे पर आगे बढ़ेगा। जापान का सिंकाको आइलैंड खतरे में आ जाएगा, इंडिया- चीन बॉर्डर एरिया खतरे में आ जाएगा। इसलिए चीन के विस्तारवादी मंसूबे पर लगाम लगाने के लिए ट्रंप प्रशासन काम करेगा।
सामरिक रिश्ते होंगे मजबूत
सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज के डायेक्टर जनरल और रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल अशोक कुमार (रिटायर्ड) ने कहा कि अमेरिका में ट्रंप की जीत से भारत और अमेरिका के सामरिक रिश्ते सकारात्मक दिशा में ही बढ़ेंगे। ट्रंप प्रशासन चीन की विस्तारवादी नीति पर भी लगाम लगाने की कोशिश करेगा, इसलिए भारत का रोल अमेरिका के लिए उतना ही अहम बना रहेगा, जितना अभी है। ट्रंप प्रशासन चीन के बढ़ते दबदबे को रोकने की कोशिश भी करेगा।ट्रंप प्रशासन चीन की विस्तारवादी नीति पर भी लगाम लगाने की कोशिश करेगा, इसलिए भारत का रोल अमेरिका के लिए उतना ही अहम बना रहेगा, जितना अभी है। ट्रंप प्रशासन चीन के बढ़ते दबदबे को रोकने की कोशिश भी करेगा। उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप रूस और यूक्रेन के युद्ध का खात्मा करवाएंगे।
रूस-यूक्रेन युद्ध रुकेगा!
ट्रंप ने ही पहली सार्थक शुरूआत की थी, जो चीन के आधिपत्य को रोकने का प्रयास था और जिसे बाइडन एडमिनिस्ट्रेशन ने जारी रखा। मेजर जनरल अशोक कुमार ने कहा कि ट्रंप के पहले कार्यकाल में कोई बड़ा युद्ध नहीं हुआ था। इस वक्त दो बड़े युद्ध चल रहे हैं। एक रूस-यूक्रेन के बीच और दूसरा मिडिल ईस्ट में। उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप रूस और यूक्रेन के युद्ध का खात्मा करवाएंगे। जिससे दुनिया भर की दिक्कतें कम होंगी और सभी देशों में महंगाई पर लगाम लगेगा, इसमें भारत भी शामिल है।उन्होंने कहा कि भले ही ट्रंप के पहले कार्यकाल में ही काटसा (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act ) आया हो लेकिन अमेरिका ने भारत को इसमें भी छूट दी। भारत ने रूस से जो एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम लिया, वह अमेरिका ने माना कि भारत ने अपनी आत्मरक्षा के लिए और चीन से उभरते खतरे को देखते हुए ली थी। टेक्नॉलजी से लेकर एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट के लिए इंजन के मुद्दे तक में भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में सुधार हो रहा है और ट्रंप 2.0 में भी यह जारी रहने की उम्मीद है।
डोनाल्ड ट्रंप भारत की सामरिक और आर्थिक महत्ता को समझते हैं। ट्रंप 2.0 में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, सुरक्षा, काउंटर टेररिजम और इंटेलिजेंस शेयरिंग की पार्टनरशिप और गहरी होने की उम्मीद है। ट्रंप की आतंकवाद के प्रति नीतियां सख्त हैं। यही आगे भी उम्मीद कर सकते हैं।
ट्रंप 2.0 में क्या बदलेगा?
विदेश मामलों के एक्सपर्ट संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप 2.0 में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, सुरक्षा, काउंटर टेररिजम और इंटेलिजेंस शेयरिंग की पार्टनरशिप और गहरी होने की उम्मीद है। ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान भी आतंकवाद, अतिवाद जैसे विषयों पर कड़ी कार्रवाईयों की थी। इस्लामिक स्टेट की फिजिकल टेरिरटी को निस्तेनाबूत किया।ट्रंप की आतंकवाद के प्रति नीतियां सख्त हैं। यही आगे भी उम्मीद कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत को ट्रंप अलग तरह से ट्रीट करते हैं। वह भी जानते हैं कि भारत विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इंडो-पैसिफिक रीजन में भारत सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति है। डोनाल्ड ट्रंप भारत की सामरिक और आर्थिक महत्ता को समझते हैँ। ऐसे में काटसा जैसे कानून का अब भी कोई असर नहीं पड़ेगा।
चीन को भारी पड़ेगी आक्रामकता
संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि क्वॉड इनिसिएटिव ट्रंप के कार्यकाल में ही रिवाइव हुआ था। क्वॉड बनने के 8 साल तक उस तरह आगे नहीं बढ़ पाया था लेकिन 2017 में ट्रंप ने इसका रिवाइवल किया। क्वॉड समिट टॉप लीडरशिप स्तर की होने लगी। ट्रंप 2.0 में क्वॉड इनिसिएटिव और अधिक मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि चीन के प्रति ट्रंप का रुख पिछले कार्यकाल में कॉम्पिटीटिव और कॉम्बेटिव रहा। चीन के साथ टैरिफ वॉर शुरू किया था। चीनी प्रॉडक्ट पर टैरिफ लगाए।चीन के लिए ट्रंप का वाइट हाउस में आना चुनौतियां बढ़ाएगा। चीन जितना अग्रेशन दिखाएगा, अमेरिका भी उतना ही अग्रेशन दिखाएगा। ताइवन के संबंध में ट्रंप प्रशासन का रुख ताइवान की रक्षा का होगा। ट्रंप जानते हैं कि अगर चीन ने ताइवान पर कब्जा कर लिया तो वह साउथ चाइना सी के 90 प्रतिशत भाग पर एकाधिकार के दावे पर आगे बढ़ेगा। जापान का सिंकाको आइलैंड खतरे में आ जाएगा, इंडिया- चीन बॉर्डर एरिया खतरे में आ जाएगा। इसलिए चीन के विस्तारवादी मंसूबे पर लगाम लगाने के लिए ट्रंप प्रशासन काम करेगा।
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